An Unbiased View of shiv chalisa lyrics in gujarati

चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है।

अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने click here कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें  शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

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